केंद्र सरकार की अनुमति के बिना संचालित स्टोन क्रशर-स्क्रीनिंग प्लांट मामले में शासन हुआ सख्तः मोर्चा
1 min readआसन कंजर्वेशन रिजर्व में खनन के काले कारोबार का है मामला
विकासनगर । जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि विकासनगर क्षेत्रांतर्गत आसन कंजर्वेशन रिजर्व के 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर स्टोन क्रशर, खनन पट्टे एवं स्क्रीनिंग प्लांट के लाइसेंस रद्द कराने की मोर्चा की मांग पर मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण को कार्रवाई की निर्देश दिए थे, जिनके क्रम में शासन ने निदेशक, पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन व सदस्य सचिव, पर्यावरण नियंत्रणबोर्ड को कार्रवाई के निर्देश जारी कि।
लगभग 10 दिन पहले मोर्चा ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात कर इस अवैध काले कारोबार को बंद करने की मांग की थी। नेगी ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश 2 जुलाई 2015 के द्वारा आसन कंजर्वेशन रिजर्व के 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर समस्त प्रकार की खनन क्रियाओं पर रोक लगाई गई थी, जिसको लेकर सरकार द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी, जिसको बलहीन पाते हुए उच्च न्यायालय द्वारा 12 जनवरी 2017 को खारिज कर दिया गया था। नेगी ने कहा कि हाल ही में आसान कंजर्वेशन रिजर्व की संवेदनशीलता को देखते हुए उक्त मामले में मा. उच्च न्यायालय, शिमला, हिमाचल प्रदेश द्वारा भी 31 जुलाई 2024 को संज्ञान लिया गया है। नेगी ने कहा कि इनको लाइसेंस जारी करते समय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार के नियमों को तार-तार किया गया है। नेगी ने कहा कि शासन द्वारा पूर्व में इस कृत्य को घोर उल्लंघन माना था तथा प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण द्वारा 27 जून 2014 द्वारा न्यायालय के आदेश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। उक्त मामले में प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखंड द्वारा भी 1 अप्रैल 2014 के माध्यम से आसन कंजर्वेशन रिजर्व को नेशनल पार्क, सेंचुरी की श्रेणी में माना था तथा उक्त क्षेत्र में किसी भी प्रकार की क्रियाओं हेतु नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड से अनुमति की आवश्यकता को जरूरी माना था। पत्रकार वार्ता में हाजी असद, प्रवीण शर्मा पिन्नी, प्रमोद शर्मा व सुशील भारद्वाज मौजूद थे।