गोट(ग्वाठ)….. “हमारे गढ़वाल में वर्तमान में विलुप्ति की कगार पर ग्वाठ”
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रुपेश कुकरेती
लेख….
लगभग मई-जून से और बरसात समाप्ति तक (जब हल्की ठण्ड प्रारम्भ होती है (पैत को) अक्सर जो ग्वाठ पहले हर गाँव के खेतों में दिखते थे अब किसी- किसी गाँव में ही दिखते हैं। ग्वाठ का शाब्दिक अर्थ शायद ये होता होगा, जहाँ गौ माता ठहरती है हालाँकि ग्वाठ में गौ माता के साथ दूसरे जानवर जैसे भेड़-बकरियाँ, भैंस(दूध देने वालों को छोड़कर) आदि को भी रखा जाता है। ग्वाठ बनाने के लिए पल्ल, टाट की आवश्यकता होती है,पल्ल मालू के पत्तों,तछेलु घास आदि से बनाये जाते हैं, टाट बाँस की छट्टियों से बनाये जाते हैं पल्ल के अन्दर ग्वाठ में रहने वाला व्यक्ति (गुठेर) रहता है जिसका कार्य रात को ग्वाठ में रहने वाली गौ माता और दूसरे जानवरों की सुरक्षा में मुस्तैदी से तैनात रहना होता है व्यक्तियों की संख्या गोट के आकार के अनुसार होती है वैसे कम से कम दो व्यक्ति तो ग्वाठ में रहते ही हैं और कुछ व्यक्ति शौक से भी ग्वाठ में रुक जाते हैं टाट का कार्य ग्वाठ में रहने वाली गौ माता और दूसरे जानवरों की सुरक्षा से है। ग्वाठ में गौ माता और दूसरे जानवरों को बाँधने का भी एक विशेष क्रम होता है टाट के अन्दर किनारों पर बड़े जानवर, बीच में उनसे छोटे और गुठेर के आस पास सबसे छोटे जानवर बांधे जाते हैं। वैसे तो रात के लिए गुठेर अपने लिए खाना घर से पैक करके ले जाता है लेकिन कुछ कुछ गुठेर अपना खाना ग्वाठ में ही बनाते हैं क्यों कि ग्वाठ के खाने में,चाय में बड़ा स्वाद आता है, इसके अलावा ग्वाठ में हुक्का गुडगुडाने से परम आनन्द की प्राप्ति होती है। ग्वाठ में रहते वक्त आप कई अनुभवों से गुजर सकते हैं जैसे रात में आपका सामना बाघ से हो सकता है या फिर भूतों से मुकालात मेरा मतलब मुलाकात हो सकती है । हमारे दूरदृष्टा बुजुर्गों का ग्वाठ लगाने के पीछे मुख्य कारण अधोलिखित हैं :
1 :- जिस खेत में ग्वाठ लगाया जाता हैं वहाँ गाय और दूसरे जानवरों का गोबर और मूत्र गिरता है जिस कारण जैविक खाद मिलने के कारण उस खेत की उपजाऊता/ उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है और उस खेत में अच्छी फसल होती है।
2 :- गाय और दूसरे जानवरों को गौशाला की गरमी और बरसात के कीचड़ से मुक्ति मिल जाती है क्यों कि ग्वाठ एक खेत में ज्यादा से ज्यादा दो या तीन दिन ही रखा जाता है अक्सर एक दिन के बाद दूसरे खेत में गोट को शिप्ट किया जाता है जिससे गाय और दूसरे जानवर बरसात के कीचड़ से मुक्त हो जाते हैं।
3 : – ग्वाठ में रहते वक्त कई गाय और दूसरे जानवर प्रजनन करके अपनी वंश वृद्धि भी करते हैं ।
आज ग्वाठ भी विलुप्ति की कगार पर है