भागवत कथा मनुष्य के जीवन को सार्थक करने का बेहतर माध्यम : पण्डित शिव स्वरूप नौटियाल
1 min read
ऋषिकेश । ग्राम पंचायत श्यामपुर नम्बरदार फार्म के दुर्गा माता मंदिर प्राँगण में आयोजित श्रीमद देवी भागवत कथा के अष्टम दिवस की कथा में भक्तों का भारीसैलाब उमड़ पड़ा। व्यास पीठ के रूप में कथा का श्रवण करा रहे वैष्णवाचार्य पण्डित शिव स्वरूप नौटियाल ने माँ पराम्बा भगवती जगतम्बा के प्राकट्य और असुरों के वध की कथा का सुंदर रसपान कराया।उन्होंने विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से श्रद्धालुओं को जागरूक किया। उन्होंने एक विशेष प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान ने जीवन का कल्याण करने के लिए ही उसको मानव जीवन प्रदान किया है। जीव ने उस शरीर को स्वीकार किया है। प्रभु नाम संकीर्तन से जीव का कल्याण हो जाये, तभी भगवान का इस जीव को मनुष्य शरीर देना सार्थक होगा। परन्तु कलिकाल में मनुष्य कल्याण किये बिना ही शरीर छोड़कर जा रहा है। इस लिए भगवान मनुष्य को मौका देते हैं कि जाते जाते भी तू किसी बहाने से मेरा नाम सुमिरन कर ले तो तेरा कल्याण हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज ज्ञानी थे जो अपने पाल्यों का नाम भगवान से प्रेरित होकर रखते थे। आज लोग अपने पाल्यों के नाम और अपने पालतु कुत्तों एक समान रखते हैं जो कि बहुत गंभीर बात है। उन्होंने कहा कि अंत समय में जब भयानक यमदूत को देखकर अजामिल ने अपने पुत्र को नारायण नारायण कह कर पुकारा तो भगवान ने उसको ही अपना नाम मान लिया और चार पार्षदों को अजामिल के पास भेज दिया।इस लिए मनुष्य को दिन रात,सोते-जागते,खाते पीते चलते फिरते हर पल भगवान का नाम स्मरण करते रहना चाहिए।उन्होंने आयोजक मण्डली श्री दुर्गा कीर्तन मण्डली सहित सभी सहयोग कर्ताओं और कथा श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।