वैराग्य के बिना भक्ति बोझिल है तथा भक्ति विहीन जीवन निःस्वाद है

कण्डारा में जलयात्रा ने बनाया वातावरण को भक्तिमय

रूद्रप्रयाग। कण्डारा नागपुर रूद्रप्रयाग मे गैरोला परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण के छठवें स्थानीय परम्परा के अनुसार रंगशाला मगरों से मुख्य यजमान महीधर प्रसाद गैरोला सिर पर प्रधान जल कलश कतारबद्ध महिलाओं के सिर पर कलश गंगामया की आरती करते हुए कथा पंडाल तक जल यात्रा निकाली गयी। वहीं विद्वान आचार्य गोपाल जी सहित भक्तों का अभिषेक किया। इस अवसर पर ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी ने कथावाचन करते हुए कहा कि वैराग्य के बिना भक्ति बोझिल है तथा भक्ति विहीन जीवन निःस्वाद है। जैसे कई प्रकार के व्यंजन बनाने पर नमक नहीं पड़ता उसी प्रकार सुख प्राप्ति पर भक्ति नहीं है तो ऐसे जीवन की निःस्वादता है। ज्ञान की बातें कहने की नही हैं ज्ञान का अनुभव करना है। ज्ञानी पुरुष में किसी भी समय ज्ञान का अभिमान नहीं रहता।
आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने नागपुर मंडल रुद्रप्रयाग जनपद के कंडारा गॉंव में गैरोला परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त करते हुए कहा कि प्राणियों के ऊपर परमात्मा प्रेम की वर्षा करते हैं। जीव इस लायक नहीं तो भी परमात्मा उसे पैसा व प्रतिष्ठा देते हैं। जीव दुष्ट है किंतु परमात्मा दयालु हैं हमारे पापों के कारण ही परमात्मा हमे सजा देते हैं परमात्मा में प्रीति होने पर ही परमात्मा प्रेम की वर्षा करते हैं जीव को अंत समय मे यह शरीर छोड़ना पड़ेगा। उससे पहले ब्रह्म विघा को जान लो। सत्संग का आश्रय लो। वृद्ध अवस्था में बूढा सत्रह बार बीमार पड़ता है। पीछे अंत मे अठारवीं बार काल यवन अर्थात काल आता है और वह अपने साथ ले जाता है। प्रवर्ति अपने को छोड़े इससे पूर्व हमें प्रवर्ति को छोड़ देना चाहिए। यह बुद्धिमानी की बात है। बासठ का अर्थ है अब तुमने वन में प्रवेश किया है इसलिए वन में जाकर रोज ऐसी अवस्था जब आ जाये तो ग्यारह हजार बार भगवान के नाम का जप करें। क्योंकि भगवान नाम के जप के बिना पाप वासना छूटना मुश्किल है।
इस अवसर पर महीधर प्रसाद गैरोला, रजनी गैरोला, चारधाम हकूक हकदारी के महासचिव हरीश डिमरी, भाजपा की पूर्व जिलाध्यक्ष व प्रभारी शकुन्तला जगवाण, पूर्व जिला पंचायत सदस्य दवेश्वरी लक्ष्मी प्रसाद भटृ, कविता डिमरी, राजेन्द्र पंत, दीपा पंत, महीधर गैरोला, रजनी गैरोला, बीना थपलियाल, सुमित्रा थपलियाल, कुशुम डिमरी, हरीश चन्द्र डिमरी, रावल कमलेश प्रसाद गैरोला, विनोद गैरोला, पुरुषोतम प्रमोद गैरोला, संदीप डिमरी गैरोला रमेश चन्द्र गैरोला, हर्ष मणी गैरोला, मनोज गैरोला, देवी,प्रसाद गैरोला, राकेश गैरोला, दीर्घायु प्रसाद प्रदाली, आचार्य दिवाकर भटृ, आचार्य संदीप बहुगुणा, आचार्य हिमांशु मैठानी, आचार्य अंकित केमनी आदि लोगों ने कथा सुनी।
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