10 उच्च शिक्षण संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सलेंस का दर्जा

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देहरादून । उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित देवभूमि उद्यमिता योजना के तहत प्रदेश के 10 उच्च शिक्षण संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिये चुना गया है। इन शिक्षण संस्थानों में राज्य विश्वविद्यालयों के परिसर व विभिन्न राजकीय महाविद्यालय शामिल हैं। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने से ये शैक्षणिक संस्थान छात्र-छात्राओं के साथ-साथ आस-पास के क्षेत्रों के उन युवा उद्यामियों के लिये वरदान साबित होंगे, जो स्टार्ट-अप तथा उद्यमिता के क्षेत्र में हट कर काम करना चाहते हैं। इन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से प्रदेश में अगले पांच वर्षों में 100 स्टार्टअप्स के निर्माण का लक्ष्य भी रखा गया है। सूबे के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप प्रदेश के युवाओं को तकनीकी एवं सॉफ्ट स्किल्स के साथ प्रशिक्षित एवं शिक्षित करने को लेकर प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में उच्च विभाग के अंतर्गत भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई), अहमदाबाद के सहयोग से देवभूमि उद्यमिता योजना (डीयूवाई) का संचालन किया जा रहा है। जिसका मकसद उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले युवाओं को उद्यमशीलता कौशल विकास और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है। डा. रावत ने बताया कि योजना के तहत सरकार ने प्रदेशभर के 10 उच्च शिक्षण संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर चुना है जो एग्री-फूड प्रोसेसिंग, आयुष एंड वेलनेस, टूरिज्म, लॉजिस्टिक एंड सप्लाई चेन मैंनेजमेंट, बायोटेक्नोलॉजी, एजुकेशन टेक एवं महिला उद्यमिता सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक हब के रूप में काम करेंगे।
इन चयनित उच्च शिक्षण सस्थानों में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रानीखेत, टनकपुर, नई टिहरी, रूद्रपुर, उत्तरकाशी, हल्द्वानी एवं राजकीय व्यावसायिक महाविद्यालय पैठाणी सहित श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का ऋषिकेश परिसर, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय का पिथौरागढ़ परिसर व दून विश्वविद्यालय परिसर शामिल है। विभागीय मंत्री ने बताया कि इन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से अगले पांच वर्षों में प्रदेशभर में 100 स्टार्टअप्स विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रदेश में रोजगार के अवसर उपलब्ध करने, स्टार्टअप तैयार करने व युवाओं में उद्यमिता की भावना को विकसित करने में ये सेंटर आफ एक्सलेंस मील का पत्थर साबित होंगे।
उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि देवभूमि उद्यमिता योजना के तहत प्रदेश में प्रत्येक वर्ष 10 उच्च शिक्षण संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सलेंस बनाया जायेगा। चयनित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को आर्थिक सहायता के तौर पर रूपये पांच लाख दिये जायेंगे। उन्होंने बताया कि प्रत्येक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस अपने आस-पास के कॉलेजों में कम से कम 5 स्पोक बनायेंगे और संसाधनों के आपसी उपयोग के माध्यम से उद्यमिता विकास में सहायक बनेंगे। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त संस्थान नए स्टार्टअप्स को फंडिंग और अन्य सहायता प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेंगे। उन्होंने बताया कि इन संस्थानों के माध्यम से छात्रों को अगले पांच वर्षों में 25 पेटेंट/कॉपीराइट दाखिल करने में मदद करने का भी लक्ष्य रखा गया है। उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ये सेंटर ऑफ एक्सीलेंस विभिन्न कार्यात्मक क्षेत्रों में 50 व्यवसाय और स्टार्टअप सलाहकारों का एक समूह बनाएंगे तथा प्राथमिक चरण प्राप्त कर चुके स्टार्ट-अप और मौजूदा उद्यमों के लिए बाजार संपर्क को भी सुगम बनायेंगे।
देवभूमि उद्यमिता योजना के तहत राज्य के दस उच्च शिक्षण संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा दिये जाने पर भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, अहमदाबाद के महानिदेशक डॉ. सुनील शुक्ला ने खुशी जाहिर की। इस पहल के प्रति उत्साह व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थिति वाला राज्य है और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से यहां उद्यमिता को बढ़ावा देने में काफी मदद मिलेगी। उत्कृष्टता केंद्र निस्संदेह इस क्षेत्र में युवा उद्यमियों को बढ़ावा देने और उनका समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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