गौ संवर्धन पर मंथनः उत्तराखंड गौ सेवा आयोग की कार्यकारिणी की अहम बैठक
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देहरादून। उत्तराखंड गौ सेवा आयोग के मा. अध्यक्ष डॉ. पं. राजेन्द्र अणथ्वाल की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को मोथरोवाला स्थित पशुधन भवन सभागार में गौ सेवा आयोग की कार्यकारिणी की बैठक संपन्न हुई। जिसमें राज्य के सभी जनपदों में गौ सदनों के निर्माण, संचालित गौ सदनों की स्थिति और गौ कल्याण कार्यक्रम की विस्तार से समीक्षा की गई। आयोग की बैठक में गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने सहित गोवंश संरक्षण हेतु कई प्रस्तावों को भी पारित किया गया।
मा. अध्यक्ष ने कहा कि शास्त्रों में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। जिस घर-गांव में गाय पलती है, वहां हमेशा संपन्नता रहती है। गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती न केवल मिट्री के बायोमास को बढ़ाकर कृषि भूमि को सुधारने मदद करती है, बल्कि गोपालन से जुड़े कुटीर उद्योग गोपालकों की जीविकोपार्जन भी करती है। देवभूमि में गौसेवा करना सबसे बड़ा सौभाग्य है। अध्यक्ष ने कहा कि गौवंश के सेवा के लिए राज्य में गौसदनों से जुड़े कुछ लोग अच्छा काम कर रहे है, लेकिन बडे दुःख की बात है कि आज 60 प्रतिशत गौवंश सड़क पर है। गोवंश के प्रति क्रूरता बडी है। गौवंश के प्रति अपराध की रोकथाम के लिए सख्त प्रावधान लाया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गौवंश संरक्षण के लिए प्रावधानों को सख्त बनाते हुए कडाई से उसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
आयोग की बैठक में गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने और सम्पूर्ण भारत में गोवंश अपराधों की रोकथाम के लिए समान कानून बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित करने पर सर्व सहमति व्यक्त की गई। वही उत्तर प्रदेश में गौ हत्या और गौ मांस की तस्करी जैसे अपराधों के लिए 10 वर्ष का कठोर करावास एवं 05 लाख जुर्माने का प्रावधान को उत्तराखंड राज्य में भी लागू करने, गौवंश को शारीरिक कष्ट पहुंचाने पर सजा का प्राविधान करने, गौवंश को सड़क पर छोड़ने वाले के विरूद्व वर्तमान प्रावधान में दो हजार रुपये का आर्थिक दंड को बढाकर 10 हजार करने, शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी गौवंश का पंजीकरण, टैगिंग फोटोग्राफी के साथ करने, गौवंश अपराध रोकने के लिए पुलिस विभाग के स्तर पर पृथक से गौवंश संरक्षण स्वाइड का गठन करने तथा दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों की नियमित चौकिंग, गौवंश की तस्करी रोकने के लिए अभियान चलाने, प्रत्येक गौवंश का जन्म और मृत्यु पंजीकरण अनिवार्य करने, नर गौवंश नंदी के संरक्षण के लिए जिला पंचायत और नगर पालिका में नंदीशाला की स्थापना, देशी प्रजाति की गायों के संरक्षण के लिए प्रोत्साहन योजना संचालित करने, भूसे और चारे की कमी को दूर करने के लिए मिलों को होने वाले भूसे की सप्लाई पर रोक लगाने, गौवंश से संबंधित कार्य एवं व्यवस्थाओं के लिए गौ आयोग को पर्याप्त धनराशि आवंटित करने, गौसदनों के पंजीकरण एवं मान्यता देने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने, गौचर भूमि का चिन्हीकरण और अतिक्रमण मुक्त कराने का प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित किया गया।
 
                                 
                                 
                                