गढ़वाली फ़िल्म रैबार ! पारंपरिक गढ़वाली मधुरता और समकालीन रचना का एक सुंदर मेल…..

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नई दिल्ली। किनोस्कोप फिल्म्स द्वारा निर्मित गढ़वाली भाषा की बेसब्री से इंतजार की जा रही फीचर फिल्म “रैबार” (हिन्दी अर्थ: संदेश) उत्तराखंड एवं दिल्ली एन.सी.आर में 19 सितंबर 2025 में रिलीज़ की जी रही है।
किनोस्कोप फिल्म्स को यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि “रैबार” उत्तराखंड की पहली फिल्म है जिसका प्रदर्शन अमेरिका में 19 सितंबर में किया जाएगा|
“रैबार” हिमालय में बसे पिपलकोटी, उत्तराखंड के एक पहाड़ी गाँव के 34 वर्षीय डाकिया पुष्कर सिंह बिष्ट की मार्मि कहानी बताती है। हमेशा से पर्वतों के परे एक जीवन की लालसा रखने वाले पुष्कर, सालों पहले अपने पिता द्वारा रोके दिया गया जिसके कारण, पिता और बेटे में मन-मुटाव रहने लगा। उसका जीवन एक अप्रत्याशित मोड़ लेता है जब पुष्कर को डाकघर में एक पुराना अवितरित पत्र मिलता है जो एक मृत व्यक्ति ने अपने बेटे के नाम लिखा था, जिसमें उसने क्षमा की याचना की है। पुष्कर इस सात साल पुराने पत्र को देने के लिए ऋषिकेश, देहरादून और दिल्ली की एक व्यक्तिगत खोज पर निकलता है, एक यात्रा जो क्षमा, उद्देश्य और आत्म-खोज की एक गहन अन्वेषण बन जाती है।
यह कार्यक्रम गढ़वाली संस्कृति और सिनेमा का एक जीवंत उत्सव होगा। दिल को छू लेने वाले संगीत एल्बम की प्रस्तुति के बाद फिल्म के ऑफिशियल ट्रेलर दिखाया जाएगा। संगीत, जो पारंपरिक गढ़वाली मधुरता और समकालीन रचना का एक सुंदर मेल है, राजेंद्र चौहान द्वारा रचित है, जिसके बोल डॉ. सतीश कलेश्वरी ने लिखे हैं और संगीत निर्देशन और पार्श्व संगीत विभू काशिव द्वारा तैयार किया गया है। प्लेबैक गायक रोहित चौहान और कैलाश कुमार ने गानों को अपनी आवाज़ दी है, जिससे उनके सार को और समृद्ध किया गया है।
इस कार्यक्रम में फिल्म के कलाकार, जिनमें सुनील सिंह, सुमन गौड़, श्रीष डोभाल, राजेश नौगाईं, मोहित घिल्डियाल सुशील पुरोहित, सृष्टि रावत, मोहित थपलियाल, एवं धर्मेन्द्र चौहान शामिल हैं, साथ ही निर्माता-निर्देशक शिशिर उनियाल और किनोस्कोप फिल्म्स के निर्माता परवीन सैनी और बलराज जांगड़ा, संगीतकार विभु काशिव उपस्थित रहेंगे।
निर्देशक शिशिर उनियाल ने अपनी बात रखते हुए कहा, “रैबार की शुरुआत वर्षों पहले एक साधारण बातचीत से हुई थी, और मैं आभारी हूं कि अब यह एक फीचर फिल्म के रूप में सामने आई है। इसके माध्यम से, मैं किसी को क्षमा करने के प्रभाव और स्वयं के विकास के लिए आत्म-खोज के महत्त्व के बारे में एक कहानी बताना चाहता था।”
किनोस्कोप फिल्म्स के निर्माता भगत सिंह ने कहा, “रैबार के साथ हमारी दूरदर्शिता उत्तराखंड की मिट्टी में पनपने वाली प्रभावशाली कथाओं और अविश्वसनीय प्रतिभा को प्रदर्शित करना है। हम क्षेत्रीय कहानी कहने को सशक्त बनाने और इसे एक ऐसी गुणवत्ता के साथ पेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो वैश्विक दर्शकों के साथ प्रतिध्वनित हो। यह फिल्म इस तथ्य का प्रमाण है कि एक समृद्ध मानवीय कहानी, जो अपनी मिट्टी में जड़ी हुई है, सार्वभौमिक आकर्षण रखती है।”
टीम का लक्ष्य इस सिनेमैटिक प्रयास के माध्यम से उत्तराखंड की भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है।

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