देव भूमि उत्तराखण्ड में पर्यटन को नहीं तीर्थाटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए

ऋषिकेश। नगर निगम ऋषिकेश के स्वच्छता ब्रांड अम्बेसडर और जिला गंगा संरक्षण समिति के सदस्य पर्यावरणविद विनोद प्रसाद जुगलान ने हैप्पी होम मॉन्टेसरी स्कूल खदरी श्यामपुर के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिन बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। वास्तव में इन आपदाओं को बढ़ाने में हम सब भी जिम्मेदार हैं। समाजसेवी एवं पर्यावरणविद विनोद जुगलान ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। जनजागरुकता से वायु प्रदूषण हो या जल प्रदूषण को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज हम शिक्षा के क्षेत्र में बेशक आगे बढ़ रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि शिक्षा का प्रसार हो रहा है लेकिन परम्परागत ज्ञान और प्रकृति सम्मत संस्कारों में कमी के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देव भूमि उत्तराखण्ड में पर्यटन को नहीं तीर्थाटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।पहाड़ में विकास की योजनाएं पहाड़ के अनुरूप बननी चाहिए।वायु प्रदूषण को कम करना है तो कार्बन उत्सर्जन करने वाले वाहनों के स्थान पर बैटरी चालित वाहन प्रयोग में लाने होंगे। जुगलान ने कहा हमारे हिमालयी प्रदेशों में परम्परागत शैली के घर बनाने के लिए एक पेड़ को काटने से पहले वन देवता की पूजा अर्चना कर आज्ञा ली जाती थी।उच्च हिमालयी पहाड़ों में सीटी बजाने पर प्रतिबंध था।ऐसा हमारे बुजुर्ग कहते रहे हैं।लेकिन शिक्षित नीति नियोक्ताओं ने असंतुलित विकास के नाम पर न केवल हजारों पेड़ काटने की अनुमति दी बल्कि देव स्थानों में चॉपर और हेलिकॉप्टर उड़ाने की भी अनुमति दे डाली जिससे वन्य जीव तो प्रभावित हुए ही प्राकृतिक आपदाओं की संभावना और अधिक बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि संस्कार विहीन शिक्षा हमें रोजगार दिला सकती है लेकिन संस्कारित कभी भी नहीं बना सकती है।उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति और आधुनिकता की भीड़ में हम पौराणिक परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। छोटे से उत्तराखंड राज्य में जिसकी आबादी से दो गुना अधिक पर्यटक हर साल पहाड़ों की ओर अपने वातानुकूलित वाहनों के साथ रुख कर रहे हैं जो न केवल वायु प्रदूषण को लगातार बढ़ा रहा है,बल्कि जलवायु परिवर्तन को भी प्रभावित कर रहा है।इसके लिए नए नियम बनाए जाने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा नगर के मुख्य भीड़ भाड़ वाले चौराहों पर सोलर फाउंटेन लगाने की जरूरत है ताकि ऐसे रेड जोन में वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।उन्होंने सीटी फॉरेस्ट, ग्रीन वेडिंग जोन बनाने पेड़ लगाने और उनके संरक्षण संवर्धन पर जोर दिया। प्रदूषण रोकने जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में कोई भी सरकार तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक जनता जागरूक होकर सहयोग नहीं करेगी।उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति पेड़ और पहाड़ काटने की नहीं है।पहाड़ों में लगातार लगाए जा रहे स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट्स पर भी उन्होंने खेद कर रोष जताया।उन्होंने कहा कि सड़कों का मलवा डंपिंग जोन में न डालकर नदियों में प्रवाहित करने से नदियां अपना रास्ता बदल लेती हैं।इन पर ईमानदारी से ध्यान देना होगा।विद्यालय में कक्षा नौवीं की छात्रा कुमारी मुस्कान ने कहा कि असल में विद्यार्थियों के साथ साथ आम जनमानस को भी जागरूक करने की आवश्यकता है।लोग जागरूक होंगे तो देश की दिशा और दशा अवश्य बदलेगी।वायु प्रदूषण जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आदेश पर नगर निगम ऋषिकेश द्वारा किया गया था। स्वच्छ वायु दिवस जनजागरुकता सप्ताह की कार्यशाला में जिला गंगा संरक्षण समिति की नामित सदस्य प्रतिभा शरण,विद्यालय निदेशक रमन शरण, प्रधानाचार्य रेनू शरण, शिक्षिका कोमल घिल्डियाल, धनेश्वरी देवी,शिक्षक देवेन्द्र शुक्ला अशोक कुमार,शुभम् मल्होत्रा, हिमांशु रतूड़ी, राजेश कुमार,प्रेरक शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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