8 दिसंबर को मेघदूत नाट्य संस्था की प्रस्तुति “अमर तिलोगा” का होगा  मंचन

देहरादून। उत्तराखंड की प्रमुख नाट्य संस्था मेघदूत द्वारा उत्तराखंड की अमर प्रेम कथा पर आधारित नाटक रविवार को राजधानी देहरादून के टाऊन हाल में शाम छह बजे से मंचित किया जाएगा। नाटक का निर्देशन मेघदूत के संस्थापक और प्रसिद्ध रंगकर्मी एस. पी. ममगाईं कर रहे हैं।
गौरतलब है कि मेघदूत नाट्य संस्था अपनी स्थापना से अब तक विगत 25 वर्षों में डेढ़ दर्जन प्रमुख नाटकों के कई कई शो कर चुकी है। मेघदूत की पहली प्रस्तुति अष्टावक्र नाटक था। उसके बाद पौराणिक कथानक पर आधारित संजीवनी नाटक का मंचन हुआ। तदनंतर औरंगजेब की आखिरी रात, यमपाल, संगमरमर पर एक रात, श्रीकृष्ण अवतार, वीर अभिमन्यु, ऊषा अनिरुद्ध, ज्योतिर्मय पद्मिनी, तीलू रोतेली और ‘ भय बिनु होई ना प्रीति’ के बाद गढ़वाल की धरती पर घटित अमरदेव सजवाण और तैड़ी की तिलोगा के प्रेम प्रसंग के आधारित कथानक पर यह नाटक प्रस्तुत किया जा रहा है। इसके अलावा कई अन्य नाटक भी मेघदूत ने मंचित किए हैं।
नाट्य निर्देशक श्री ममगाईं के अनुसार तिलोगा और अमरदेव की यह एक हृदयस्पर्शी प्रणय गाथा है, जो स्थानीय लोगों के अतिरिक्त अन्य तक नहीं पहुंची है। लंबे शोध के बाद इस पर श्री ममगाईं ने पहले अपनी पुस्तक उत्तराखंड के ऐतिहासिक नाटक प्रकाशित की और अब इसका मंचन किया जा रहा है। हिंदी का नाटक होने के बाद भी इसमें स्थान – स्थान पर कथा की मांग के अनुरूप गढ़वाली भाषा के शब्दों व गीतों के प्रयोग से आंचलिकता तथा कथा का बोध होता है। वस्तुत: यह कथानक करीब चार सौ वर्ष पुराना है और मेघदूत के कलाकारों ने इसके लिए गहन प्रशिक्षण लिया है। श्री ममगाईं मानते हैं कि ऐतिहासिक नाटक का मंचन निस्संदेह बहुत कठिन कार्य है किंतु मेघदूत इस दुरूह कार्य को बखूबी करता आ रहा है।
उल्लेखनीय है कि कोरोनाकाल में जब सब कुछ थम गया था, उस दौर में रंगकर्म के क्षेत्र में व्याप्त सन्नाटे को मेघदूत ने “भय बिनु होई न प्रीत” नाट्य प्रस्तुति देकर तोड़ा था। गोस्वामी तुलसी दास की कृति रामचरित मानस के पंचम सोपान सुंदर कांड पर आधारित इस नाट्य प्रस्तुति को दर्शकों ने सराहा था। इसके अब तक कई शो हो चुके हैं और अगला शो भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में होगा।

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