नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य स्तरीय क्षमता संवर्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला का शुभारंभ

देहरादून। बन्दना गर्ब्याल निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण तथा अजय कुमार नौडियाल ,अपर निदेशक एस .सी .ई.आर.टी. के निर्देशन में नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य स्तरीय क्षमता संवर्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला का शुभारंभ एस.सी.ई.आर.टी सभागार में हो गया है ।इस अवसर पर मुख्य सन्दर्भदाता के रूप में अपर निदेशक राज्य साक्षरता अभियान प्राधिकरण छत्तीसगढ़ के
डॉक्टर प्रशांत पांडे ने नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के बारे में विस्तार से प्रतिभागियों को गूगल मीट के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य 15 वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे लोगों को आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान के साथ ही जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण कौशलों जैसे वित्तीय साक्षरता डिजिटल साक्षरता ,स्वास्थ्य देखभाल, कानूनी जागरूकता , के प्रति जागरूकता का विकास करना है। आशा रानी पेन्यूली अपर निदेशक ने कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत उल्लास नाम से सामग्री का विकास उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में किया जाना है ।उन्होंने कहा कि उल्लास का विस्तारित रूप अंडर स्टैंडिंग ऑफ लाइफ लांग लर्निंग फॉर ऑल इन सोसाइटी है । इस कार्यक्रम के अंतर्गत उन असाक्षरों को संख्या ज्ञान और अंक संबंधी ज्ञान के अलावा जीवन कौशल पर आधारित जानकारी को दिया जाना है जिन्हें अक्षर ज्ञान तो नहीं है किंतु उनके पास जीवन की शिक्षा है ।उनके पास उनके व्यवसाय से जुड़े हुए विस्तृत अनुभव हैं। कार्यक्रम के राज्य समन्वयक डॉक्टर हरेन्द्र सिंह अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर एनसीईआरटी नई दिल्ली में साक्षरता से संबंधित राष्ट्रीय साक्षरता प्रकोष्ठ का गठन किया गया है और राज्य स्तर पर एस.सी.ई.आर.टी उत्तराखंड में राज्य साक्षरता प्रकोष्ठ बनाया गया है । एनसीआरटी से प्राप्त दिशा निर्देशों के क्रम में पूर्व में नव साक्षरों के लिए उल्लास प्रवेशिका चार खंडों में तैयार की गई है ।इसके अलावा इस कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने के लिए मार्गदर्शिका भी तैयार की गई है । कार्यशाला के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि इस पांच दिवसीय कार्यशाला के माध्यम से उपस्थित प्रतिभागियों का नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत उल्लास के विभिन्न पक्षों पर क्षमता अभिवर्धन किया जाना है ।इसके अलावा नव साक्षरों के लिए उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में उल्लास प्रवेशिका भी इस कार्यशाला में तैयार की जाएगी । राज्य संदर्भ दाता के रूप में डॉक्टर उमेश चमोला तथा नरेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि प्रवेशिका की विषय वस्तु में नव साक्षरों के जीवन से जुड़े अनुभव और उनके दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं को सम्मिलित किया जाना है। इसके अलावा महत्वपूर्ण जीवन कौशलों पर आधारित रोचक गतिविधियों को भी स्थान दिया जाएगा। इस प्रवेशिका की भाषा सरल तथा प्रौढ़ मनोविज्ञान के अनुरूप होनी चाहिए ।इसमें पठन सामग्री के अलावा आकलन से संबंधित गतिविधियों को भी स्थान दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रतिभागी लेखक के रूप में शैलजा गौड़ , उपेंद्र कुमार भट्ट, विनीत भट्ट ,रजनी रावत त्रिलोक सिंह रावत ,संजय रावत ,अवनीश सिंह ,संगीता रावत ,हरीश नौटियाल, हेमेंद्र भट्ट , वीरेंद्र कुमार, आनंद सिंह ‘विद्रोही’ और लभ्य फाउंडेशन के प्रणय कुमार सम्मिलित हैं। इस अवसर पर डॉ गंगा घुघत्याल और डॉ. कृष्णानंद बिजल्वाण सहायक निदेशक ने भी अपने विचार व्यक्त किये।