उत्तराखंड में बदला मौसम, जौनसार बाबर व धनौल्टी में बर्फबारी
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पर्यटकों व बागवानों के खिले चेहरे…..
देहरादून । उत्तराखंड में मौसम ने करवट ली है। बीती देर रात से ही बारिश का सिलसिला जारी है। सुबह मौसम विभाग की भविष्यवाणी एक दम सटीक साबित हुई है वहीं जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में फरवरी महीने में एक बार फिर बर्फबारी हुई है। बर्फबारी से जहां ठंड मे इजाफा हुआ है, वहीं खेती किसानी बागवानी करने वाले किसानों के लिए यह बर्फबारी संजीवनी का काम करेगी। बर्फबारी होने से जल स्रोत भी रिचार्ज होंगे और कुछ हद तक गर्मियों में पेयजल संकट से भी निजात मिलने की संभावना है।
जौनसार बावर के चकराता लोखंडी, मोइला टॉप, कुनैन आदि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने से पर्वत श्रृंखला चांदी की चादर ओढ़े हुए नजर आ रही हैं। बर्फबारी से किसानों के चेहरों पर मुस्कान है। इन दिनों मटर की कई हेक्टेयर फसल खेतों में खड़ी है। फसलों में फुलवारी के साथ साथ अच्छी फसल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
बर्फबारी होने से सैलानियों का रुख एक बार फिर से जौनसार बावर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ा है। टूरिस्ट बर्फबारी का दीदार करने पहुंच रहे हैं। जिससे स्थानीय होटल व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों सहित अन्य दुकानदारों के रोजगार में भी इजाफा देखने को मिल सकता है।
चकराता विकास खंड की निवर्तमान प्रमुख निधि राणा ने बताया की त्यूणी से शाम को मैं अपने गांव कुनैन आई हूं और आज यहां सुबह बर्फबारी स्टार्ट हो गई है। सभी किसान भाइयों के चेहरे खुशी से खिले हुए हैं और सभी बहुत खुश हैं। क्योंकि कुछ टाइम से ना तो बारिश हो रही थी ना बर्फबारी हो रही थी। जिससे फसलें सूखने की कगार पर आ गई थी। आज सभी लोग इस बर्फबारी से खुश हैं। इससे फसलें भी काफी अच्छी होंगी। इससे खेतों और बगीचों में अच्छी नमी हो जाती है और जो नदी, स्रोत वगैरा हैं तो उनमें पानी भी आ जाता है। जहां लोगों को इन दिनों फरवरी के माह में गर्मी महसूस होने लगी थी, वहीं मौसम के करवट लेने से तापमान में गिरावट आई है और उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू हो गई है। टिहरी जनपद के सुरकण्डा की चोटियों, धनौल्टी काणाताल, वुरांश खण्डा में बर्फबारी देखने को मिल रही है। बर्फबारी होने से व्यवसाई व किसानों के चेहरे खिल उठे हैं।
स्थानीय निवासी कुलदीप नेगी ने बताया कि बारिश न होने के कारण लोग काफी मायूस थे क्योंकि उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी ना होने के कारण गर्मियों के दिनों में पानी की किल्लत पैदा हो सकती है। वहीं तापमान पर भी इसका भारी असर देखने को मिलता है। अगर मौसम ने साथ दिया और अच्छी बर्फबारी होती है तो जहां एक ओर किसानों को इसका फायदा मिलेगा वहीं पर्यटन व्यवसाइयों को भी पर्यटकों के आने का इंतजार रहेगा। बताते चलें इस साल बारिश न होने से गेहूं, मटर की बुआई पर भारी असर देखने को मिला है। बारिश न होने के कारण चम्बा मसूरी फल पट्टी में आलू की बुआई के लिए काश्तकार अभी तक हल नहीं जोत पाये हैं। हालांकि यह सीजन की तीसरी बर्फबारी है, लेकिन पूर्व में हुई बर्फबारी काफी कम मात्रा में हुई जिसका काश्तकारों को कोई लाभ नहीं मिल पाया। मौसम के करवट लेने के साथ ही काणाताल, सुरकण्डा, धनौल्टी, बुरांश खण्डा में बर्फबारी शुरू हो चुकी है। बर्फबारी होने से काश्तकार, व्यवसाई के चेहरों पर खुशी लौट आई है।