गढ़वाल भ्रातृ मंडल , मुंबई द्वारा समान नागरिक संहिता  UCC) पर विचार गोष्ठी का आयोजन

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मुंबई।  मुंबई में उत्तराखंड की सबसे पुरानी एवं प्रतिष्ठित सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था गढ़वाल भ्रातृ मंडल, मुंबई ने उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा पारित समान नागरिक संहिता कानून के उपलक्ष्य में दिनांक 25 फरवरी 2024 को मुंबई के कांदिवली पश्चिम स्थित जलाराम मंदिर सभागृह में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी में सर्वप्रथम गढ़वाल भ्रातृ मंडल, मुंबई के अध्यक्ष श्री रमण मोहन कुकरेती ने सभी का स्वागत करते हुए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के पारित होने हेतु उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी एवं उनकी सरकार के प्रति धन्यवाद देते हुए उपस्थित जनों से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता तथा भविष्य में आने वाली चुनौतियां से संबंधित विषय पर अपने विचार रखने हेतु अनुरोध किया। वरिष्ठ साहित्यकार डा. राजेश्वर उनियाल की अध्यक्षता में आयोजित इस संगोष्ठी में सर्वप्रथम उत्तराखंड महासभा, महाराष्ट्र के अध्यक्ष एवं भाजपा नेता श्री धर्मानंद रतूड़ी महाराज ने उत्तराखंड में गत दो-तीन दशक से फैल रहे मुसलमानों एवं गरीब उत्तराखंडियों को ईसाई धर्म में परिवर्तन करने पर गहरा रोष व्यक्त किया । उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि सरकार ने इस समस्या की ओर समुचित ध्यान नहीं दिया, तो हमारे उत्तराखंड को भी अगले 5-6 दशक में कश्मीर या असम बनने में देरी नहीं लगेगी । उत्तराखंड समाज चारकोप गोराई, मुंबई के अध्यक्ष श्री बुद्धि प्रसाद देवली ने उत्तराखंड में भू कानून एवं बाहरी घुसपैठ के संबंध में अपने विचार रखें । समारोह की अध्यक्षता कर रहे डा. राजेश्वर उनियाल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में इस बात पर चिंता व्यक्त की कि भले ही आज उत्तराखंड की सरकार ने समान नागरिक संहिता लागू कर उत्तराखंड का नाम देश भर में गौरवान्वित किया है, परंतु हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय राजनीति में सत्ता का परिवर्तन अवश्यम्भावी है । हमें याद रखना चाहिए कि उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी ने देवभूमि उत्तराखंड में मुस्लिम विश्वविद्यालय बनाने की बात कही थी । इतना ही नहीं, तो पिछली कांग्रेसी सरकार ने तो देवभूमि में शुक्रवार को नमाज पढ़ने की भी छुट्टी दे दी थी और किस प्रकार से वहां के जंगलों में बंगला देशी और रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने के लिए प्रोत्साहित किया गया । जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि धामी जी की सरकार में एक अभियान के तहत इन हजारों अवैध मजारों को गिरवा दिया है । लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि कल अगर कहीं देवभूमि में मुस्लिम विश्वविद्यालय बनाने वाले कांग्रेसी फिर सत्ता में आ गए, तो यह उन अवैध मजारों को वैध करने में देरी नहीं लगाएंगे तथा अभी तो हल्द्वानी ही जला है, भविष्य में हरिद्वार से लेकर चंपावत तक कहीं ना कहीं ऐसी अपने घटनाएं होती रहेंगी । इसलिए हम उत्तराखंडियों को चाहिए कि हम अपने धर्म संस्कृति, संस्कृति,सामाजिक परिवेश व भाषा आदि के मामले में केवल सरकार पर निर्भर न रहकर सामाजिक रूप से भी जागृति फैलाएं, ताकि हम अपनी भावी पीढ़ी को सुरक्षित रख सकें । डा. उनियाल ने यह भी स्मरण दिलाया कि कुछ समय पूर्व पौड़ी के नगर पालिका अध्यक्ष ने भी मुस्लिम दामाद का स्वागत करने के लिए पौड़ी में एक भव्य स्वागत समारोह रखा था, परंतु जनशक्ति के सामने उनको भी विवश होकर समारोह रद्द करना पड़ा । इसलिए हमें समान नागरिक संहिता पर प्रसन्न होने के साथ-साथ धार्मिक प्रहरी के रूप में भी जागरूक रहना होगा तथा उत्तराखंड में जहां भी यह बांग्लादेशी मुसलमान या रोहिंग्या आदि अपना नाम वेश बदलकर रह रहे हैं, इनकी पहचान कर इनकी सूचना प्रशासन को एवं सामाजिक संस्थाओं को देनी चाहिए ।

गोष्ठी में गढ़वाल भ्रातृ मंडल के महासचिव श्री मनोज द्विवेदी, उपाध्यक्ष श्री गणेश नौटियाल, कोषाध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम नेगी, श्री दया नंद शर्मा, श्री सैन सिंह रावत , श्री मनोज सती , श्री सत्यप्रकाश आर्य , दीपक जोशी , एवं श्री राम सिंह घटाल सहित कई महानुभाव ने भी अपने विचार रखे। संगोष्ठी में सर्वसम्मति से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी को गढ़वाल भ्रातृ मंडल , मुंबई की ओर से अभिनंदन पत्र प्रेषित करने का प्रस्ताव पारित किया गया । अंत में मंडल की सांस्कृतिक सचिव एडवोकेट सरोज ममगाईं थपलियाल ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त की कि मंडल भविष्य में भी ऐसी संगोष्ठियों का आयोजन करता रहेगा।

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