जिलाधिकारी ने कहा भालुओं से मुकाबला नहीं,समझदारी और सावधानी ही समाधान…..

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उत्तरकाशी। जिलाधिकारी प्रशान्त आर्य ने वन विभाग,पुलिस और आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि हाल ही में क्षेत्र में भालुओं की बढ़ती आवाजाही और लोगों के घायल होने की घटनाएं उजागर हुई है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि भालू वन का जीव है,इसका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है,लेकिन मानव जीवन की सुरक्षा सर्वोपरि है। वन विभाग तत्काल ठोस और व्यावहारिक कदम उठाए। ताकि लोगों में व्याप्त भय को दूर करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी घटना की जानकारी मिलते ही त्वरित कार्रवाई के लिए विशेष टीम तैनात की जाए। टीम के पास ट्रैंक्विलाइजर,सुरक्षा उपकरण व रेस्क्यू वाहन उपलब्ध रहे इसका इंतजाम सुनिश्चित किया जाए।

 भालुओं की बढ़ती गतिविधि को देखते हुए लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय,
जिलाधिकारी ने वन विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि जंगल से सटे गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जाए। गांवों में जाकर लोगों को भालू से बचाव के तरीकों की जानकारी दी जाए। स्कूलों में भी विशेष जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाए। जंगल के रास्तों,चरागाहों और पहाड़ी क्षेत्रों में भालू प्रभावित क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड और साइनेज लगाए जाए,ताकि लोग सावधान रह सकें। कैमरा ट्रैप और ड्रोन सर्विलांस तकनीकी सहायता ली जाए। भालुओं की गतिविधियों की निगरानी के लिए कैमरा ट्रैप बढ़ाने और जरूरत पड़ने पर ड्रोन की सहायता ली जाए।
 भालू मनुष्यों पर क्यों करता है हमला?
विशेषज्ञों के अनुसार भालू आमतौर पर शांत स्वभाव का जीव है और बिना कारण मनुष्यों पर हमला नहीं करता। हमले की मुख्य वजहें अक्सर ये होती है- अचानक सामना हो जाना,घने जंगल में या मोड़ पर अचानक सामने आने पर भालू डर जाता है और आत्मरक्षा में हमला कर देता है।
भोजन की कमी या इंसानी बस्तियों में भोजन की गंध,कचरा,महुआ,फल या अनाज की गंध भालू को गांव की ओर आकर्षित करती है।
 माँ भालू का अपने बच्चों की सुरक्षा भावना,यदि इंसान अनजाने में उसके शावकों के करीब पहुंच जाए तो मादा भालू बेहद आक्रामक हो जाती है।
 घायल या बीमार भालू, ऐसे भालू ज्यादा चिड़चिड़े होते हैं और तेजी से हमला कर देते हैं।
 भालू से बचाव के लिए क्या करें? — जरूरी सावधानियां,क्या करें-
जंगल में हमेशा समूह में जाए,अकेले जाने से बचें। तेज आवाज में बात करें—भालू इंसानी आवाज सुनकर आमतौर पर दूर चला जाता है। साथ में टॉर्च,सीटी या ड्रम जैसी आवाज वाली चीज रखें। भालू दिखने पर शांत रहें,धीरे-धीरे पीछे हटें—भागें नहीं।
 क्या बिल्कुल न करें –
भालू को पास से फोटो या वीडियो बनाने की कोशिश न करें। उस पर पत्थर,लकड़ी फेंककर उकसाएं नहीं। भालू या उसके बच्चों के बहुत करीब न जाए। शव,कचरा या भोजन खुले में न छोड़ें। जिलाधिकारी ने कहा भालुओं से मुकाबला नहीं,समझदारी और सावधानी ही समाधान है। ग्रामीणों की सुरक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें।
 उप प्रभागीय वनाधिकारी रश्मि ध्यानी ने जानकारी देते हुए बताया कि विभाग द्वारा जंगल से सटे 27 संवेदनशील गांवों को चिन्हित किया गया है, जहां आबादी क्षेत्र में भालू के आने की संभावना अधिक रहती है। चिन्हित सभी गांवों में भालू एवं अन्य जंगली जानवरों से बचाव के लिए ग्रामीणों को जागरूक किया गया है। साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें स्प्रे किट भी प्रदान की जा रही है। यह स्प्रे किट 10 से 15 फीट की दूरी तक प्रभावी रहती है। यदि भालू या कोई अन्य जंगली जानवर हमला करता है तो उसकी ओर स्प्रे करने से वह कुछ समय के लिए विचलित होकर पीछे हट जाता है,जिससे ग्रामीणों को सुरक्षा हेतु पर्याप्त अवसर मिल जाता है।
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