दिल्ली विश्वविद्यालय में हुआ बहुभाषिक अनुवाद कार्यशाला : भाषाई एवं सांस्कृतिक एकता की अनोखी पहल
1 min readनई दिल्ली — दिल्ली विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा तथा साहित्य अध्ययन विभाग (Indian Languages and Literary Studies) द्वारा केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान ( Central Institute of Classical Tamil (CICT) के सहयोग से तीन दिवसीय अनुवाद कार्यशाला का आयोजन 4 दिसम्बर, 2025 से शुरू किया गया । कार्यक्रम का आयोजन कक्ष संख्या 22 कला संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय में 4 दिसंबर 2025, सुबह 10:30 बजे से प्रारंभ हुआ । इस कार्यशाला में मुख्य रूप से गढ़वाली, सिंधी, कश्मीरी, बोडो, मैथिली, मेइती—के साथ–साथ अंतरराष्ट्रीय भाषाओं जैसे पोलिश, वियतनामी, स्पैनिश, पुर्तगाली आदि के प्रतिभागी अनुवादकों/ विद्वानों ने भाग लिया। इस तीन दिवसीय कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य तमिल की प्रसिद्ध रचना अव्वैयार की ‘आथीसूड़ी’ का अनुवाद भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में करना है, जिससे भाषाई विविधता और अंतर–संस्कृतिक संवाद को प्रोत्साहन मिल सके।
इस कार्यशाला का उद्घाटन श्री अनूप लाथर, चेयरपर्सन, कल्चर काउंसिल एवं PRO, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा किया जाएगा। कार्यक्रम में प्रो. रवीन्द्र कुमार डीन, कल्चर काउंसिल और डायरेक्टर, दिल्ली विश्वविद्यालय (Dean, Culture Council & Director CIPS, DU) तथा प्रो. भार्तेन्दु पांडेय प्रमुख संस्कृत विभाग (Head, Department of Sanskrit, DU) विशेष रूप से उपस्थित रहे।
इस अनुवाद कार्यशाला में भारत की विभिन्न भाषाओं—जैसे गढ़वाली, सिंधी, कश्मीरी, बोडो, मैथिली, मेइती—के साथ–साथ अंतरराष्ट्रीय भाषाओं जैसे पोलिश, वियतनामी, स्पैनिश, पुर्तगाली आदि के प्रतिभागियों द्वारा तमिल की प्रसिद्ध रचना अव्वैयार की ‘आथीसूड़ी’ का अनुवाद भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में किया गया । यह पहला विविध सांस्कृतिक समुदायों को एक मंच पर जोड़ते हुए साहित्य को वैश्विक विस्तार प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। निदेशक प्रो. आर. चन्द्रशेखरण (CICT, चेन्नई) तथा प्रो. रविप्रकाश टेकचंदानी और प्रो. डी. उमा देवी द्वारा इस आयोजन का नेतृत्व एवं परिकल्पना की गयी।
यह कार्यशाला इस विश्वास को मजबूत करती है कि जब अनुवादक एक साथ बैठते हैं, तब भाषाएँ दीवारें नहीं, पुल बन जाती हैं, और दुनिया और अधिक एकीकृत दिखाई देती है।