मूल की पुकार (Roots Calling) कार्यक्रम का किया आयोजन…..
1 min readनई दिल्ली। उत्तराखंड सदन चाणक्यपुरी नई दिल्ली में ,मूल की पुकार (Roots Calling) कार्यक्रम का आयोजन सार्वभौमिक सोशल कल्चर एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट व जयंती फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया,इस कार्यक्रम में निम्न मुख्य बिंदुओं पर उपस्थित प्रबुद्ध जनों ने चर्चा , सुझाव व मार्गदर्शन दिया।
1-प्रतिलोम पलायन (रिवर्स माइग्रेशन)।
2-घस्यारी नीति निर्धारण हेतु प्रस्ताव।
3-वानप्रस्थ योजना एक परिचय ।
4-वीर भड़ माधोसिंह भण्डारी सम्मान 2025
कार्यक्रम का शुभारंभ सार्वभौमिक के संस्थापक अजय सिंह बिष्ट के उद्बोधन से हुआ जिसमें उन्होंने रिवर्स माइग्रेशन की आवश्यकता पर बात रखी व सभी उपस्थित महानुभावों से उनके विचार साझा करने का आग्रह किया,उपस्थित विशेषज्ञों ने विषयों पर बहुत सटीक तार्किक तथ्य प्रतिलोम पलायन के विषय में रखीं
मुख्य वक्ता व्यवसायी संजय जोशी, गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नामधारी गोपाल उप्रेती,कर्नल यशपाल नेगी(रिटायर ) निर्विरोध प्रधान ग्राम बिरगणा पौड़ी गढ़वाल,सी एम् मीडिया सलाहकार श्री मदनमोहन सती, डॉ प्रकाश उप्रेती, डॉ प्रेमबहुखण्डी,SI संजय शर्मा, एडवोकेट बद्री प्रसाद अन्थवाल, श्रीमती रोशनी चमोली क्षेत्र पंचायत सदस्य देवप्रयाग, ग्राम प्रधान श्री जयानन्द ध्यानी सल्ट,ग्राम प्रधान बिरगणी, टिहरी श्री युद्धवीर सिंह रावत, कार्यक्रम की अध्यक्षता एडवोकेट संजय दरमोड़ा ने की, इस कार्यक्रम में समाज के पत्रकार, साहित्यकार, कलाकारों व गणमान्य की बड़ी उपस्थिति रही ।
कार्यक्रम संचालन सुभाष गुसाईं।
निर्णय-
1-घस्यारी नीति निर्धारण हेतु प्रस्ताव सर्वसम्मति से। पारित।
2- उत्तराखंड में वोटर लिस्ट में नाम अंकित करवाने का आह्वान।
3-परिवार रजिस्टर में नाम अंकित करवाने का आह्वान।
4-गांव गोद लेकर सरकार व स्थानीय निकायों के सहयोग से प्रतिलोम पलायन हेतु अनुकूल वातावरण तैयार किया जाय।
5-रिटार्यड जन गांव लौट कर युवाओं को पहाड़ों में रोजगार के लिए प्रोत्साहित करें।
6- हर व्यक्ति साल में कम से कम 10-20दिन गांव में बितायें।
7-अपने इन्कम टैक्स का 10%गांव को मजबूत करने में खर्च करें।
8-ग्रामीणों को सरकार की नीतियों की जानकारी हेतु क्लस्टर बनाये जाएं।
इस अवसर पर ग्यारह उन महानुभावों जो बड़े शहरों को छोड़कर अपने क्षेत्र में जाकर कार्य कर रहे हैं “वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी सम्मान” से सम्मानित किया गया व पांच महानुभावों को “मुख्य प्रेरक सम्मान” से सम्मानित किया गया ।