राजीव कुमार पांथरी को शैलेश मटियानी पुरुस्कार से किया सम्मानित….

देहरादून। शिक्षा दिवस पर अपने उत्कृष्ट कार्यो से पहचान बनाने वाली कई शिक्षक सम्मानित हए ऐसी ही एक शिक्षक राजीव कुमार पांथरी है जिन्हें कल राजभवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल के हाथों द्वारा शैलेश मटियानी पुरुस्कार से नवाजा गया। राजीव पांथरी एक ऐसी शख्शियत है जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र मे नई इबारत लिखी है। विद्यालय एवं शिक्षक की सफलता की कहानी कार्यक्रम के अंतर्गत हम प्रस्तुत कर रहे हैं एक ऐसे शिक्षक की कहानी जिन्होंने अपने भगीरथ प्रयास से विद्यालय की कायाकल्प करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की। हम ज़िक्र कर रहे हैं राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय गलज्वाड़ी विकासखंड सहसपुर, जनपद देहरादून के शिक्षक राजीव कुमार पांथरी की।

श्री पांथरी का जन्म मूल रूप से गढ़वाल जिले के पांथर गांव में हुआ, आपके पिता श्री तारा दत्त पांथरी जी भी एक बहुत कर्मठ अध्यापक थे, आप की शिक्षा दीक्षा गढ़वाल में ही हुई तथा वर्ष 1987 में आपने राजकीय जूनियर हाई स्कूल ग्वाल खेड़ा ब्लॉक पाबौ में सहायक अध्यापक विज्ञान के पद पर कार्य प्रारंभ किया। जनपद पौड़ी के पाबौ ब्लॉक तथा एकेश्वर ब्लॉक में आपकी मुख्य रूप से 22 साल की सेवा संपन्न हुई, तत्पश्चात आप 2009 में जनपद देहरादून के राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय गलज्वाड़ी में प्रधानाध्यापक के पद पर स्थानांतरित होकर आए। उस समय विद्यालय की छात्र संख्या मात्र 18 थी तथा विद्यालय लगभग अवनति की ओर था। विद्यालय में आते ही आपने विद्यालय के इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त की तथा विद्यालय अभिलेखों का गहन अध्ययन करते हुए अपने साथियों के साथ छात्र संख्या न्यून होने के संबंध में बातचीत की। उसके पश्चात आपने यह निर्णय लिया कि हमको छात्र संख्या वृद्धि के क्षेत्र में काम करना चाहिए, इस विषय पर आपने डायट देहरादून तथा एससीईआरटी को अपने क्रियात्मक शोध भी प्रेषित किए इस प्रयास को पूर्ण करने के लिए आपने प्लान तैयार किया तथा 2009-10 से ही आपने नए प्रवेश के लिए सेवित बस्ती के ग्रामों में जो बच्चे कक्षा 5 उत्तीर्ण होने वाले थे उनके माता-पिता तथा अध्यापकों से संपर्क किया। अभिभावकों को विश्वास में लेते हुए आपने परिश्रम के साथ में अपनी पूरी टीम को अच्छे पठन के लिए प्रेरित किया तथा स्वयं संस्कृत विषय में काम करना शुरू किया, संस्कृत के श्लोकों तथा पदों को आपने गा करके पढ़ाना शुरू किया जिससे छात्र बहुत आनंद लेते थे फल स्वरुप बच्चों की रुचि संस्कृत की ओर बढ़ने लगी। आनंददायक शिक्षण को बच्चों ने आत्मसात करते हुए अध्यापक राजीव पांथरी के निर्देशन में नाटक तथा श्लोकों की एक टीम तैयार की तथा उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित संस्कृत प्रतियोगिता के लिए अपना नाम प्रस्तुत किया। प्रथम बार जनपद तक प्रतिभाग कर कोशिश जारी रखी और द्वितीय प्रयास में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में नाटक में प्रतिभाग किया।
सिलसिला चलता रहा और लगातार चार बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में विद्यालय के छात्र दल ने नाटक में तथा एक बार श्लोक उच्चारण प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। सपनों की उड़ान कार्यक्रम में भी विद्यालय के छात्रों ने संस्कृत का एक नाटक प्रस्तुत किया था जिसमें तत्कालीन मुख्य शिक्षा अधिकारी श्रीमान शिव प्रसाद खाली जी ने कहा कि जब छात्र इतनी अच्छी संस्कृत को बोल पा रहे हैं तो लाजमी है कि मुझको भी संस्कृत में बोलना चाहिए। उस समय उन्होंने लगभग 20 मिनट तक संस्कृत में भाषण दिया था। विद्यालय में छात्र संख्या वृद्धि का यह प्रयास अनवरत रूप से जारी रहा तथा लगातार 12 सालों में विद्यालय की छात्र संख्या 18 से बढ़कर 62 तक जा पहुंची निकटवर्ती क्षेत्र में लगभग आधे 1 किलोमीटर पर राजकीय इंटर कॉलेज, राजकीय जूनियर हाई स्कूल, 23 पब्लिक स्कूलों के होने के कारण छात्र संख्या बढ़ानी बहुत मुश्किल थी लेकिन अपने सुदृढ़ प्रबंधन एवं कुशल शिक्षण के फलस्वरूप आपने विद्याल का सुंदर वातावरण तैयार किया, आपने जनसहयोग से विद्यालय के लिए बहुत से संसाधन जुटाए हैं, आपका विद्यालय आज सुविधाओं से परिपूर्ण है तथा आपके बच्चे विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में जैसे- राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा में या इंस्पायर अवार्ड में तथा विभागीय प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते हैं तथा स्थान प्राप्त करते हैं। विद्यालय में शिक्षण की बहुत आनंद पूर्वक तथा बहुत दृढ़ व्यवस्था है। आपके विद्यालय के छात्र छात्राएं विभागीय प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते हुए जनपद तथा राज्य स्तर तक प्रतिभाग करते हैं।

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