दुनिया में पहली बार आमने-सामने आए US का एफ-35 और चीन का जे-20

वाशिंगटन। दुनिया में पहली बार अमेरिका का लाकहीड मार्टिन एफ 35 और चीन का चेंगदू जे 20 आमने-सामने आ गए थे। खास बात यह है कि दोनों विमान पांचवी पीढ़ी के हैं। दोनों विमान स्‍टील्‍थ तकनीक से लैस हैं। दोनों ही देश अपने-अपने विमानों पर इतराते हैं। चीन और अमेरिका का दावा है कि उनके विमान दुनिया के किसी भी रडार की पकड़ से बाहर हैं।
मिलिट्री वाच मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक जे-20 और एफ-35 काफी नजदीक आ गए थे। हालांकि, जनरल केनेथ विल्सबैक ने कहा कि यह कहना जल्दीबाजी होगी कि चीन और अमेरिका के लड़ाकू विमान उस समय क्या इरादा रखते थे। उन्होंने कहा कि हमने इसे सिर्फ इस प्रतियोगिता को हवाई श्रेष्ठता के रूप में देखा और परखा है। चीन के लड़ाकू विमान को अवाक्स से जानकारी मिल रही थी, जबकि हमारा लड़ाकू विमान अपने ही रडार से उनको देख रहा था। केनेथ ने कहा कि हम इसे पूर्ण रूप से एक मुठभेड़ नहीं मान सकते। उन्‍होंने कहा कि इसके पीछ तर्क यह है कि इस दौरान किसी भी देश के लड़ाकू विमान ने एक दूसरे को धमकाया नहीं था। अलबत्‍ता दोनों लड़ाकू विमान एक दूसरे के काफी करीब पहुंच गए थे। इस दौरान जनरल केनेथ ने चीनी वायु सेना बेड़े के बारे में बताया। केनेथ ने कहा कि चीन का जे-500 अवाक्‍स लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। चीन की हवा से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइलों को जे-500 अवाक्‍स के रडार से नियंत्रित किया जाता है। उन्‍होंने कहा कि जे-20 की सबसे लंबी दूरी की ज्ञात मिसाइल पीएल-15 है। इसकी रेंज 200 किमी से 500 किमी तक बताई जाती है।
एफ-35 के शुरुआती माडल की बात करें तो इसने पहली बार 15 दिसंबर 2016 को अपनी उड़ान भरी थी। जुलाई 2015 में अमेरिकी सरकार ने यूएस मरीन के लिए इसकी पहली स्‍क्‍वाड्रन का गठन किया था। इसके बाद अगस्‍त 2016 में यूएस एयरफोर्स में इसकी पहली स्‍क्‍वाड्रन का गठन कर इसको तैनाती के आदेश दिए गए। अमेरिका ने फरवरी 2019 में इस विमान को अपनी नौसेना में भी शामिल किया। मध्‍य पूर्व में इसकी तैनाती की बात करे तो 15 अप्रेल 2019 को यूएई के अल दाफरा एयरबेस पर पहली बार अमेरिका ने इस लड़ाकू विमान को तैनात किया था। इसी दौरान उत्‍तरी इराक में पहली बार आईएस के ठिकानों पर हमले के लिए इसका इस्‍तेमाल किया गया था।
एफ-35। लड़ाकू विमान को अमेरिकी कंपनी लाकहिड मार्टिन ने बनाया है। यह एक सिंगल सीट और सिंगल इंजन वाला लड़ाकू विमान है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह विमान किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है। पांचवीं पी‍ढ़ी का यह लड़ाकू विमान युद्ध में विभिन्‍न भूमिकाओं में अहम साबित हो सकता है। इसको इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह ग्राउंड अटैक के अलावा हवा में भी दुश्‍मन के छक्‍के छुड़ाने में कामयाब हो सकता है। आपको बता दें कि इस विमान को लाकहिड मार्टिन के अलावा कुछ दूसरी कंपनियां भी बनाती हैं जिनमें नॉर्थरॉप ग्रुमन, प्रेट एंड व्‍हाइटने और बीएई सिस्‍टम शामिल है। एफ-35। कंवेंशनल टेकआफ और लैंडिंग कर सकता है। इसके अलावा थ्-35ठ शार्ट टेकआफ के अलावा वर्टिकल लैंडिंग कर सकता है। वहीं इसी पंक्ति के थ्-35ब् लड़ाकू विमान को खासतौर पर एयरक्राफ्ट करियर की सुविधा के अनुसार बनाया गया है। यह विमान एयरक्राफ्ट करियर पर उतरते और टेकऑफ के समय केटापल्‍ट का इस्‍तेमाल करता है, जो इसको कुछ ही सेकेंड में जबरदस्‍त स्‍पीड देता है। थ्-35 को दरअसल ग्-35 की ही तरह डिजाइन किया गया है। यूएस एयरफोर्स में इसको पेंथर के नाम से भी जाना जाता है।
इसकी एक बड़ी खासियत इसका दुश्‍मन के राडार में नहीं आना भी है। इसकी वजह है इसका आकार और इसका फाइबर मैट। इसकी वजह से यह राडार पर गायब हो जाता है। इस तकनीक की वजह से यह संकेतों को अवशोषित कर लेता है। इस जेट में मशीनगन के अलावा हवा से हवा और जमीन पर मार करने वाली मिसाइल भी लगी होती हैं। यह विमान 1930 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इस तरह के एक जेट की कीमत करीब 31 करोड़ रुपये है। यह विमान 910 किलो के छह बम ले जाने में सक्षम है जो दुश्‍मन को बर्बाद कर सकते हैं।

चीन का जे-20 सिंगल सीटर फाइटर जेट हैं। विमान में दो इंजन हैं। चीन के जे-20 का मुख्य काम स्टील्थ फाइटर का है। चीन का दावा है कि उसका विमान रडार को धोखा दे सकता है। जे-20 दोनों विमान अटैक और निगरानी का काम करते हैं, लेकिन रेंज की बात करें तो राफेल की रेंज करीब 3,700 किलोमीटर है, जबकि जे-20 की रेंज लगभग 2700 किमी है यानी लंबी दूरी तक जाने में चीन का विमान रफाल से पीछे है।
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह दुश्मनों के रडार जाम कर सकता है। इस विमान में इलेक्ट्रानिक सर्विलांस, कम्युनिकेशन डिस्ट्रप्शन और रडार जाम करने वाले उपकरण लगे हुए हैं। इसके अलावा इसमें हवा से हवा में मार करने वाली कई आधुनिक मिसाइलें भी लगी हैं। यह कई तरह के आधुनिक उपकरणों की एक विस्तृत सीरीज को लेकर उड़ान भर सकता है। इस लड़ाकू विमान के पंखों के नीचे छोटे उपकरण, जबकि बीच वाले हिस्से में भारी उपकरणों को लगाया जा सकता है। यह जंगी विमान वास्तविक युद्ध की स्थिति में अपने इलेक्ट्रानिक वारफेयर से दुश्मन में खलबली मचा सकता है। इससे दुश्मन के कम्युनिकेशन और सर्विलांस सिस्टम काम करना बंद कर सकते हैं। इसमें प्रयोग किए गए इलेक्ट्रानिक वारफेयर जेट दूसरे लड़ाकू विमानों के साथ जंग के मैदान में कहर बरपा सकता है। चीनी वायु सेना का जे-16 डी विमान जे-20 के साथ मिलकर दुश्मन की सेना पर भारी पड़ेगा। दुश्मन के अर्ली वार्निंग सिस्टम को बंद कर देगा और रडार को जाम कर देगा, जबकि जे-20 खुद ही स्टील्थ तकनीक से लैस है। ऐसी स्थिति में वह दुश्मन के ऊपर सटीक हमला कर सकता है। ऐसे में दुश्मन को जवाबी कार्रवाई का मौका भी नहीं मिलेगा।

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