आध्यात्मिक स्वरूप को दर्शाता सिरमौर जिले का प्राचीन शिव मन्दिर

हिमाचल। सिरमौर जिले के पच्छाद विकास खंड मुख्यालय सराहां से ३० किलोमीटर दूर स्थित शिव मंदिर अद्भुत नक्काशी का खूबसूरत नमूना है। यह प्राचीन मंदिर मध्य हिमालय की शिवालिक पहाडियों की गोद में मानगढ़ पंचायत में स्थित है। यह शिव मंदिर पांडवों द्वारा निर्मित है। इस मंदिर के दरवाज़े को एक बड़ी शिला से काटकर बनाया गया है जिस पर अद्भुत नक्काशी भी की गई है। यही नहीं मंदिर में जितनी भी मूर्तियाँ हैं, उन्हें पत्थरों से काटकर बनाया गया है। मगर खास बात यह है कि जिस पत्थर को काटकर मंदिर व मूर्तियाँ बनी हैं वह पत्थर इस क्षेत्र में पाया ही नहीं जाता।

मंदिर की दीवारों पर खुदे नक्षत्र दर्शन में पाँच ग्रह ही दर्शाए गए हैं जो इसके प्राचीनतम इतिहास के गवाह है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। मंदिर के पिछले हिस्से में गाय को मारते हुए बाघ व बाघ को मारते हुए अर्जुन के चित्रों को पत्थरों पर दिखाया गया है। पांडवों द्वारा निर्मित इस शिव मंदिर के समीप ही भगवान कृष्ण का मंदिर है। इस स्थान को ठाकुरद्वारा पुकारा जाता है। ठाकुरद्वारा का अर्थ है, भगवान विष्णु का निवास स्थान। कृष्ण मंदिर में पूजा अर्चना के साथ-साथ जन्माष्टमी पर मेले का आयोजन भी किया जाता है।
शोधकर्ताओं द्वारा यह मंदिर करीब १५०० साल से अधिक पुराना बताया गया है। वर्ष २००३-०४ में शिव मंदिर के समीप खुदाई के दौरान एक गणेश मंदिर भी मिला था जिसका निर्माण गुप्त काल में ईसा से २५०० वर्ष पूर्व निर्मित या पाँचवी, छठी शताब्दी का बताया जाता है।
शिव मंदिर में शिवरात्रि को भव्य कीर्तन व भण्डारे का आयोजन किया जाता है। श्रावण मास में क्षेत्र के लोग प्रात:काल में शिवलिंग को जल अर्पित तथा साँय को जोत जलाते हैं। यह प्रथा सैकड़ों वर्षों से चल रही है।

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