अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष समेत कई ट्रस्टियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज  

हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी और ट्रस्टी अनिल शर्मा सहित कई ट्रस्टियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि चंदे का निजी उपयोग करने के साथ ही रसीदों पर फोटो लगाकर धोखाधड़ी की जा रही है। नगर कोतवाली पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस के मुताबिक सामाजिक कार्यकर्ता जयप्रकाश (जेपी) बडोनी ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि महंतानी सरस्वती देवी के देहांत के बाद मंदिर का प्रबंध करने वाले चारों लोगों ने एक सार्वजनिक धर्मार्थ एवं पुण्यार्थ ट्रस्ट मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट नाम से बनाकर पंजीकरण 24 अक्तूबर 1972 में सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अंतर्गत कराया था। ट्रस्ट में कुल 13 लोग थे। जिसमें चार पदाधिकारी सदस्य बने। आरोप है कि श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने अध्यक्ष बनकर मंदिर में दान की रसीद पर अपनी फोटो छपवा ली। दिवंगत ट्रस्टियों के नाम पर दान चंदा एकत्र किया जा रहा है।
आरोप है कि मंदिर से अर्जित करोड़ों रुपये के दान के आभूषण, अचल संपत्तियों के साथ ही बैंकों में पहले से जमा करोड़ों रुपये की धनराशि का निजी उपयोग किया जा रहा है। ट्रस्ट के लेटर पैड व अन्य प्रचार प्रसार के माध्यमों से शासन-प्रशासन और आम जनता को धोखा देने का आरोप लगाया। कोर्ट से आदेश जारी होने के बाद नगर कोतवाली पुलिस ने धारा 420, 419, 447, 448, 467, 468, 471 के तहत श्रीमहंत रविंद्रपुरी और ट्रस्टी अनिल शर्मा सहित अन्य ट्रस्टियों (नामजद नहीं) के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। सीओ सिटी मनोज कुमार ठाकुर ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने इस मामले में कहा कि ये आरोप बिल्कुल निराधार और गलत हैं। जांच में सबकुछ साफ हो जाएगा। रही बात रसीदों पर फोटो लगाने की तो एक बात मैं बता दूं कि मां मनसा देवी मंदिर के नाम पर तमाम लोग श्रद्धालुओं से चंदे के नाम पर नकली रसीदों से वसूली करते आ रहे थे। मैं ट्रस्ट का अध्यक्ष हूं तो इसलिए रसीदों पर फोटो छापी गई। हमारा पूरा पैसा समाज हित में लगता है। कोई निजी उपयोग नहीं होता है। उन्होंने कहा कि मंदिर के चंदे की जो रसीदें हैं वो मुख्य कोषाधिकारी के यहां से जारी होती है।

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