दिल्ली । गढ़वाळ भवन दिल्ली म उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली का तत्वाधान म वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगमोहन सिंह रावत जगमोरा कि द्वी गढ़वाळि पजल संग्रै गुणत्यळि अर हुणत्यळि को लोकार्पण ह्वै। सुबेर बिटिन ब्यखुनि तलक पूरा दिना ये आयोजन म जख भाषा कि बात ह्वे वखी नै छ्वाळि का कवियों न अपणि रचना सुणैकि लोगों तैं खूब हैंसे अर स्वचणा खुणि बि मजबूर कैरि कि बाईस साल बाद बि हमरि भाषा अर सरोकारों का खातिर उत्तराखण्ड म क्वी काम नि होणां छन।
ये मौका परैं गढ़वाळि, कुमाउनी भाषाओं का मानकीकरण अर यों भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना खातिर बि चर्चा करेगे। यांका अलावा कवि सम्मेलन को बि आयोजन करेगे। कार्यक्रम तीन सत्रों म सम्पन्न ह्वै। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री ललित केशवान जी न कैरि। ये मौका परैं न्यूत्यां मैमानों म डॉ बिनोद बछेती, चेयरमैन डीपीएमआई व संरक्षक उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, बरिष्ठ समाजसेवी श्री महेश चन्द्रा, बरिष्ठ समाजसेवी व पूर्व प्रोविडेंड फण्ड कमिश्नर श्री बी एन शर्मा, बरिष्ठ साहित्यकार श्री रमेश घिल्डियाल, वरिष्ठ समाजसेवी श्री महेश चन्द्रा, पूर्व राज्यमंत्री, उत्तराखण्ड कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री धीरेन्द्र प्रताप, प्रोफेसर वी एस नेगी, प्रोफेसर हरेंद्र असवाल, वरिष्ठ पत्रकार सुनील नेगी, वरिष्ठ साहित्यकार श्री पयाश पोखड़ा, वरिष्ठ साहित्यकार श्री दीनदयाल बन्दूणी, बरिष्ठ साहित्यकार श्री दिनेश ध्यानी, नवभारत टाइम्स कि वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती पूनम बिष्ट, साहित्यकार श्री सुशील बुड़ाकोटी, बरिष्ठ पत्रकार श्री चारु तिवारी, वरिष्ठ साहित्यकार श्री रमेश हितैषी समेत कै विद्वत लोगों न अपणा विचार रखीं।
डा विनोद बछेती न बोलि कि हमतैं गढ़वाली कुमाऊनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना खातिर जतन तेज करण पोड़ला। उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच यीं दिशा म लगातार जतन कनौं। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता श्री धीरेन्द्र प्रताप न बोलि कि अब बगत ऐगे कि हम अपणि भाषाओं तैं अगनै बढौंला। वोंन बोलि कि हम आप लोगों का दगडि छवा। मेरी मां स्वर्गीय सुमन लता भदोला वह म्यरा पिताजी खुद गढ़वाली भाषा का प्रेमी छया।
उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंचा संयोजक श्री दिनेश ध्यानी न संचालन कर्दा बतैकि श्री जगमोहन सिंह रावत कि पजल श्रंृखला अपणां आपम गढ़वाळि साहित्य खुणि भलि पहल चा। श्री रावत लगातार लिखणां छन। श्री रावत न पजल संग्रै म हर रचना म पहेली पूछिकि वै कु मतलब अर अर्थ बतौणा कि नै परम्परा शुरू करींचा। अगर हम वोंकि हर रचना तैं ध्यान से पढां ता लगदा कि वो काव्य का माध्यम से हमरू इतिहास तैं बि सहेजणां छन अर आणा-पखाणों तैं बि सहेजणां छन। नै पीढ़ि अगर सै अध्ययन कार ता यो पजल संग्रै भौत उपयोगी सिद्ध ह्वै सकदा। श्री ध्यानी न बोलि कि उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली जख गढ़वाळि, कुमाउनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना खातिर दृढसंकल्परत चा वखी अपणी भाषाका साहित्यकारों तैं एक मंच बि प्रदान करणों चा। श्री महेश चन्द्रा ने बोलि कि श्री जगमोहन सिंह रावत जी न नै विधा पजल म पोथी लेखिन ज्व हमरु साहित्य खुणि गर्व कि बात चा।
प्रोफेसर वी एस नेगी न बोलि कि गढ़वाली कुमाऊनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना खातिर हर जतन म हम दगडि छवा। प्रोफेसर हरेंद्र असवाल न बोलि कि हमरि नै पीढि तैं भाषा साहित्य से ज्वडणां जरूरत चा।
कवि सम्मलेन म श्री ललित केशवान, श्री रमेश घिल्डियाल, श्री दिनेश ध्यानी, श्री जबर सिंह कैंतुरा, श्री दीन दयाल बंदूणी, श्री पयाश पोखड़ा, श्री रमेश हितैषी, श्री ओम प्रकाश आर्य, श्री बृजमोहन शर्मा वेदवाल, श्रीमती रामेश्वरी नादान, श्री बिश्वेश्वर प्रसाद सिलस्वाल, श्रीमती लक्ष्मी नौडियाल, श्रीमती ममता रावत,श्री गिरधारी रावत, श्री दर्शन सिंह रावत, श्री जगमोहन सिंह जायड़ा, श्री विमल सजवाण, श्री प्रतिबिंब बडथ्वाल, श्री प्रदीप खुदेड़, श्री सुशील बुडाकोटी, श्री प्रकाश मिलनसार, श्री ओम ध्यानी, श्री ओम प्रकाश पोखरियाल, आदि कवियों न कविता पाठ कैरी। ये मौका परैं उत्तराखण्ड जागरण का सम्पादक श्री सत्येन्द्र सिंह रावत, श्रीमती सुमित्रा रावत, श्रीमती कुसुम रावत, श्री जसवीर सिंह जस्टिस, श्री शशि बडोला, श्री कैलाश कुकरेती समेत कै लोग उपस्थित छया।
श्री जगमोहन सिंह रावत जगमोरा न सबुकु आभार व्यक्त कैरि।
कार्यक्रम का संचालन उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच दिल्ली का संयोजक श्री दिनेश ध्यानी, श्री सुशील बुडाकोटी व श्री बृजमोहन शर्मा वेदवाल न संयुक्त रूप से कैरि।