प्रभु को पाने का सरल मार्ग है त्याग की भावना

ऋषिकेश।ग्राम सभा खदरी खड़क माफ के दिल्ली फार्म में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद देवी भागवत की कथा सुख शांति पूर्ण सम्पन्न हुई। नवम दिवस की कथा में व्यासपीठ कथा वक्ता वैष्णवाचार्य पण्डित शिव स्वरूप नौटियाल ने कहा कि प्रभु को पाने का सरल मार्ग है त्याग की भावना।और त्याग करने के किये सर्व प्रथम इच्छा,अभिलाषा एवं तृष्णा को जीता जाए।दूसरे की निन्दा, दूसरे के धन का लोभ और परिहास का त्याग करें।उन्होंने कहा कि ‘लोभ पापसस्य कारणम’ देश और समाज में भ्रष्टाचार बढ़ने का मुख्य कारण लोभ ही है।
कथा संचालक पर्यावरणविद विनोद जुगलान ने कहा कि भगवद कथाएं समाप्त नहीं होती बल्कि विश्राम लेती हैं।प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण में मातृ शक्ति का बड़ा योगदान है।कथा विश्राम दिवस पर गीता आश्रम के भानु मित्र शर्मा,बद्री केदार समिति के संजय शास्त्री,दिनेश सती,राम रतन रतूड़ी,ग्राम प्रधान खदरी संगीता थपलियाल, भूमा देवी,सम्पत्तिदेवी,सरोजनी देवी,श्रेया उनियाल,सीता पयाल,राजेश्वरी चौहान,बिंदेश्वरी देवी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।कथा विश्राम के बाद भव्य भण्डारे का आयोजन किया गया।कीर्तन मण्डली की मातृ शक्ति भावुक होकर व्यास पीठ को ढोल बाजों के साथ विदाई दी।

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